Tuesday, February 22, 2011

बिना विचारे जो करे, सो पाछे पछताए

सेठ घनश्याम दास कपड़े का बहुत बड़ा व्यापारी था। उसने ढेरों दौलत जमा कर रखी थी। उसका व्यापार आस-पास के देशों में भी फैल चुका था। वह कभी-कभी उन देशों की यात्रा भी किया करता था। जब उसका बेटा जवान हो गया तो वह अपने पिता के व्यापार में हाथ बंटाने लगा। एक बार घनश्याम दास ने अपने बेटे रामदास से कहा—‘‘हमारे पास दूर देश से बहुत बड़ा आर्डर आया है, तुम्हें सामान लेकर वहां जाना होगा।’’ रामदास ने अब तक किसी देश की यात्रा नहीं की थी। वह यह जानकर बहुत खुश हुआ कि उसके अब्बा उसे दूर देश भेज रहे हैं। उसने तुरंत वहां जाने की तैयारी शुरू कर दी। अगले दिन रामदास सामान लेकर यात्रा के लिए रवाना हो गया। वह होटल में सामान रखकर वहां के बाजार में घूमने निकला। रास्ते में उसने एक निराला फल बिकते देखा। उसने इतना बड़ा फल आज तक नहीं देखा था। वह फल के पास गया और फल को हाथ में उठाकर देखा...

Friday, February 11, 2011

मेरी आँखों का खयाल रखना .....

एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ! उसके परिवार वालो ने भी उसका कभी साथ नहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी ! लड़की हमेशा लड़के से कहती रहती थी की तुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो !में तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकती में तुम्हे वो प्यार नहीं दे सकती जो कोई और देगा लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाषा देता रहता की तुम ठीक हो जोगी तुम्ही मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद अब सब कुछ देख सकती थी लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की कहती है की में तुमसे प्यार नहीं कर सकती तुम तोह अंधे हो.में किसी अंधे आदमी को अपना जीवन साथी चुन सकती तुम्हारे साथ मेरा कोई भविष्य नहीं है ..तब...

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