Monday, March 14, 2011

जिन्दगी और मैं

मैं दो कदम चलता और एक पल को रुकता मगर                                  इस एक पल मैं  जिन्दगी मुझसे चार कदम आगे बढ जाती ।  मैं फिर दो कदम चलता और एक पल को रुकता और  जिन्दगी फिर मुझसे चार कदम आगे बढ जाती । युँ ही जिन्दगी को जीतता देख मैं मुस्कुराता और जिन्दगी मेरी मुस्कुराहट पर हैंरान होती । ये सिलसिला यहीं चलता रहता..... फिर एक दिन मुझे हंसता देख एक सितारे ने पुछा तुम हार कर भी मुस्कुराते हो  क्या तुम्हें दुख नहीं होता हारकर तब मैंनें कहा मुझे पता हैं एक ऐसी सरहद आयेगी जहाँ से आगे...

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