एक बार एक लड़का था ! जो एक लड़की को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ! उसके परिवार वालो ने भी उसका कभी साथ नहीं दिया ,फिर भी वो उस लड़की को प्यार करता रहा लेकिन लड़की कुछ देख नहीं सकती थी मतलब अंधी थी ! लड़की हमेशा लड़के से कहती रहती थी की तुम मुझे इतना प्यार क्यूँ करते हो ! में तुम्हारे किसी काम नहीं आ सकती में तुम्हे वो प्यार नहीं दे सकती जो कोई और देगा लेकिन वो लड़का उसे हमेशा दिलाषा देता रहता की तुम ठीक हो जोगी तुम्ही मेरा पहला प्यार हो और रहोगी फिर कुछ साल ये सिलसिला चलता रहता है लड़का अपने पैसे से लड़की का ऑपरेशन करवाता है लड़की ऑपरेशन के बाद अब सब कुछ देख सकती थी लेकिन उससे पता चलता है की लड़का भी अँधा था तब लड़की कहती है की में तुमसे प्यार नहीं कर सकती तुम तोह अंधे हो. में किसी अंधे आदमी को अपना जीवन साथी चुन सकती तुम्हारे साथ मेरा कोई भविष्य नहीं है ..तब लड़का मुस्कुराता है औरजाने लगता है और उसके आखिरी बोल होते है .................. ................ .................. मेरी आँखों का ख्याल रखना |
15 comments:
उफ़ - कुछ कहते नहीं बनता - पढवाने के लिए आभार
लड़के का इतना सच्चा प्यार समझ न सकी वो बदनसीब लड़की ।
प्रेरक प्रसंग !
dil ko chu gayi kahani :)
शुक्रिया।
aah
dil ko bheetar tak chhoo gayi ye kahani
aabhaar
दिल को छु लेने वाली कहानी है ... सचमुच जब किसी को जरूरत से ज्यादा मिल जाता है तो उसे अपने पुराने दिनी की याद नहीं रहती
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति
वेरी नाइस
सुंदर शब्दो मे कही गयी सुंदर बात
दिल को छु लेने वाली कहानी है| बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति| धन्यवाद|
When will the blind world start seeing the light...
It happens daily...
इस बात में कोई भी दो राय नहीं है कि लिखना बहुत ही अच्छी आदत है, इसलिये ब्लॉग पर लिखना सराहनीय कार्य है| इससे हम अपने विचारों को हर एक की पहुँच के लिये प्रस्तुत कर देते हैं| विचारों का सही महत्व तब ही है, जबकि वे किसी भी रूप में समाज के सभी वर्गों के लोगों के बीच पहुँच सकें| इस कार्य में योगदान करने के लिये मेरी ओर से आभार और साधुवाद स्वीकार करें|
अनेक दिनों की व्यस्ततम जीवनचर्या के चलते आपके ब्लॉग नहीं देख सका| आज फुर्सत मिली है, तब जबकि 14 फरवरी, 2011 की तारीख बदलने वाली है| आज के दिन विशेषकर युवा लोग ‘‘वैलेण्टाइन-डे’’ मनाकर ‘प्यार’ जैसी पवित्र अनुभूति को प्रकट करने का साहस जुटाते हैं और अपने प्रेमी/प्रेमिका को प्यार भरा उपहार देते हैं| आप सबके लिये दो लाइनें मेरी ओर से, पढिये और आनन्द लीजिये -
वैलेण्टाइन-डे पर होश खो बैठा मैं तुझको देखकर!
बता क्या दूँ तौफा तुझे, अच्छा नहीं लगता कुछ तुझे देखकर!!
शुभाकॉंक्षी|
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा ‘निरंकुश’
सम्पादक (जयपुर से प्रकाशित हिन्दी पाक्षिक समाचार-पत्र ‘प्रेसपालिका’) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
(देश के सत्रह राज्यों में सेवारत और 1994 से दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन, जिसमें 4650 से अधिक आजीवन कार्यकर्ता सेवारत हैं)
फोन : 0141-2222225(सायं सात से आठ बजे के बीच)
मोबाइल : 098285-02666
[co="red"]आपने इतने कम शब्दो मे इनती सुंदर बात कही है ...
ये इंसानी फितरत ही है कि खुद को कोई कमी
होने पर इंसान अपने आप को लाचार और
कमजोर महसूस करता है और उस कमी के
पूरा होने पर अपने बुरे वक्त को भूल जाता है ..... [/co]
सुन्दर प्रस्तुति, आभार...
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