जब मै 3 वर्ष का था तब मै सोचता था कि मेरे पिता दुनिया सबसे मजबूत और ताकतवर व्यक्ति हैं |
जब मैं 6 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया कि मेरे पिता दुनिया के सबसे ताकतवर ही नहीं सबसे समझदार व्यक्ति भी हैं |
जब मैं 9 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया कि मेरे पिता को दुनिया की हर चीज का ज्ञान है |
जब मैं 12 वर्ष का हुआ तब मैं महसूस करने लगा कि मेरे मित्रो के पिता मेरे पिता के मुकाबले ज्यादा समझदार है |
जब मै 15 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया कि मेरे पिता को दुनिया में चलने के लिए कुछ और ज्ञान कि जरुरत है |
जब मैं 20 वर्ष का हुआ तब मुझे महसूस हुआ कि मेरे पिता किसी और ही दुनिया के है और वे हमारी सोच के साथ नहीं चल सकते |
जब मैं 25 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया मुझे किसी भी काम के बारे में अपने पिता से सलाह नहीं करनी चाहिए ,क्योकि उनमे हर काम में कमी निकलने कि आदत सी पड़ गई है |
जब मैं 30 वर्ष का हुआ तब में महसूस करने लगा कि मेरे पिता को मेरी नक़ल करके कुछ समझ आ गई है |
जब मैं 35 वर्ष का हुआ तब मै महसूस करने लगा कि उनसे छोटी मोटी बातो के बारे में सलाह ली जा सकती है |
जब मैं 40 वर्ष का हुआ तब मैंने महसूस किया कि कुच्छ जरुरी मामलो में भी पिता जी से सलाह ली जा सकती है |
जब मैं 50 वर्ष का हुआ तब मैंने फैसला किया कि मुझे अपने पिता कि सलाह के बिना कुछ भी नहीं करना चाहिए ,क्योकि मुझे यह ज्ञान हो चुकाथा कि मेरे पिता दुनिया के सबसे समझदार व्यक्ति है पर इससे पहले कि मैं अपने इस फैसले पर अमल कर पातामेरे पिता जी इस संसार को अलविदा कह गए और मैं अपने पिता कि हर सलाह और तजुर्बे से वंचित रहगया |
( एक प्रेरक लोक कथा)
10 comments:
इस प्रेरक रचना को पढवाने का शुक्रिया।
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अच्छी बात कही है
बहत अच्छा लगा पढ़कर
अच्छी कथा पड़ाने के लिए धन्यवाद्
बहत अच्छा लगा पढ़कर
It is a thought provoking msg.....I hope to implement it before it's get too late
Best thought. Everyone should give it to their children for reading and try to implement himself before it goes out of his hand
काश बच्चे समझ जाते
Such a great and true line
Mujhe badah kar bahut achha laga
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